भारत और मालदीव के बीच विवाद | controversy between india and maldives | india maldives |
मालदीव में नई सरकार आने के बाद भारत को लेकर विरोधी रुख देखने को मिल रहा है। मालदीव के राष्ट्रपति को चीन समर्थक माना जाता है। हाल ही में मोइज्जू चीन भी पहुंचे हुए हैं। इस बीच पीएम मोदी के खिलाफ विवादित टिप्पणी के बाद दोनों देशों के रिश्तों में तल्खी देखने को मिल रही है।भारत का विरोध मालदीव को कितना भारी पड़ेगा? जानें विवाद की वजह से लेकर असर तक सबकुछ
मालदीव में नई सरकार आने के बाद भारत को लेकर विरोधी रुख देखने को मिल रहा है। मालदीव के राष्ट्रपति को चीन समर्थक माना जाता है। हाल ही में मोइज्जू चीन भी पहुंचे हुए हैं। इस बीच पीएम मोदी के खिलाफ विवादित टिप्पणी के बाद दोनों देशों के रिश्तों में तल्खी देखने को मिल रही है।भारत और मालदीव के बीच संबंधों में तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है। पीएम मोदी के खिलाफ बदजुबानी पर भारत किसी भी तरह से नरमी बरतने के मूड में नहीं दिख रहा है। भारत ने पहले माले में आधिकारिक विरोध दर्ज कराया। इसके बाद सोमवार को दिल्ली में मालदीव के उच्चायुक्त को तलब किया। सूत्रों के हवाले कहा जा रहा है कि भारत ने इस पूरे मामले को लेकर अपनी नाराजगी जताई है। हालांकि, इस पूरे विवाद ने कई सवाल भी खड़े किए हैं। मालदीव में चीन समर्थक मोहम्मद मोइज्जू के राष्ट्रपति बनने के बाद से दोनों देशों के संबंधों में तल्खी बढ़ी है। ऐसे में सवाल है कि भारत का यह पड़ोसी इतना अहम क्यों है? मौजूद विवाद बढ़ने से लेकर मालदीव को भविष्य में क्या परेशानी हो सकती है।
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क्यों बढ़ा विवाद?
पीएम मोदी ने लक्षद्वीप दौरे के साथ ही वहां के टूरिजम को प्रमोट किया। इसके बाद गूगल पर अचानक लक्षद्वीप को सर्च करने वालों की संख्या बढ़ गई। इसी के साथ सोशल मीडिया पर लक्षद्वीप की खूबसूरत तस्वीरें पोस्ट की जाने लगीं। यह बहस चल पड़ी कि जब देश में इतनी खूबसूरत जगह है तो अपनी छुट्टी माने कहीं और क्यों जाएं? लोगों को मालदीव की बजाय लक्षद्वीप जाना चाहिए। इससे खफा होकर मालदीव के मंत्री ने टिप्पणी की तो भारत ने भी जवाब दिया। अब वहां की सरकार ने अपने तीन मंत्रियों को हटा दिया है।
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मालदीव को क्या है दिक्कत ?
भारत से करीब दो लाख से ज्यादा लोग हर साल मालदीव की यात्रा करते हैं। मालदीव में मौजूद भारतीय हाई कमिशन के आंकड़ों को मानें तो साल 2022 में 2 लाख 41 हजार और 2023 में करीब 2 लाख लोगों मालदीव की यात्रा की है। ऐसे में यदि लक्षद्वीप जैसे भारत के द्वीपों को प्रमोट किया जाता है तो जाहिर है कि भारत से मालदीव जाने वाले लोगों की संख्या में कमी आएगी, जिसका विपरीत असर वहां के टूरिजम पर पड़ेगी। इसी आशंका से वहां के मंत्री भड़के हुए हैं।
क्यों अहम है यह पड़ोसी देश?
भारत का पड़ोसी देश मालदीव हिंद महासागर पर बसा है और इस कारण यह सुरक्षा की दृष्टि से भी अहम है। यहां की नई सरकार चीन के करीब दिख रही है। मालदीव के नए राष्ट्रपति ने तो अपने चुनाव प्रचार में ही ‘इंडिया आउट’ का नारा दिया था। विदेश मामलों के जानकार हर्ष वी.पंत का भी मानना है कि अगर तल्खी बढ़ती है तो हिंद महासागर रीजन की सिक्योरिटी भारत के लिए परेशानी का सबब बन सकती है। चीन हमारे रिश्तों की तल्खी का फायदा उठाने की कोशिश कर सकता है। जिसका भारत खयाल रखेगा। इसलिए भारत सरकार की तरफ से बैलेंस अप्रोच रखा गया है, जबकि मालदीव की तरफ से तो लगातार काफी कुछ कहा जा रहा है।
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